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BCCI ने उठाया बड़ा कदम, अब खिलाड़ियों को ये चालाकी पड़ेगी भारी, बचना होगा मुश्किल

BCCI: अब उम्र में धोखाधड़ी करने वाले खिलाड़ियों का बचना मुश्किल होगा. बीसीसीआई ने टू-टायर एज वेरिफिकेशन सिस्टम को और मजबूत करने का फैसला किया है. आइए जानते हैं कैसे…

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BCCI: इन दिनों टीम इंडिया इंग्लैंड टूर पर है और 5 टेस्ट मैचों की सीरीज का आखिरी मुकाबला द ओवल में चल रहा है. सबकी नजर आखिरी दिन के मुकाबले पर है, क्योंकि इंग्लैंड को जीत के लिए 35 रन चाहिए, जबकि भारत को सिर्फ 4 विकेट. मतलब मुकाबला रोमांचक मोड़ पर है. सभी फैंस इस मैच पर नजर बनाए हुए हैं, इधर इस बीच भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने एक बड़ा फैसला लिया है.भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने उन खिलाड़ियों के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है, जो अपनी उम्र को लेकर गड़बड़ी करते हैं. इसका मतलब ये है कि अब उम्र में धोखाधड़ी करना इतना आसान नहीं होगा.

बीसीसीआई ने टू-टायर एज वेरिफिकेशन सिस्टम को और मजबूत करने के लिए एक प्रोफेशनल एजेंसी को नियुक्त करने का फैसला लिया है, जो खिलाड़ियों की उम्र और दस्तावेजों की पूरी तरह जांच करेगी. इससे एज में होने वाले फ्रॉड पर लगाम लगेगी.

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क्या है टू-टायर वेरिफिकेशन सिस्टम?

बीसीसीआई फिलहाल टू-टायर वेरिफिकेशन सिस्टम के जरिए उम्र की जांच करता है. इसके तहत पहले तो दस्तावेज और जन्म प्रमाण पत्र की जांच होती है. फिर हड्डियों की जांच की जाती है, जिसे TW3 (Tanner Whitehouse 3) टेस्ट कहा जाता है. ये प्रक्रिया खासकर अंडर-16 लड़कों और अंडर-15 लड़कियों के स्तर पर लागू की जाती है.

अब जिम्मेदारी किसी प्रोफेशनल एजेंसी को मिलेगी

बीसीसीआई ने अब टू-टायर वेरिफिकेशन सिस्टम में यही काम खुद करने के बजाय किसी अनुभवी और पेशेवर एजेंसी से कराने का फैसला किया है. इसके लिए BCCI ने हाल ही में रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RPF) जारी की है, जिसमें देश की बड़ी और अनुभवी एजेंसियों को आवेदन करने के लिए बुलाया गया है. माना जा रहा है कि अगस्त के अंत तक एजेंसी का चयन हो जाएगा.

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अब कौन-कौन से दस्तावेज जांचे जाएंगे?

अब सिर्फ जन्म प्रमाणपत्र नहीं, बल्कि आधार कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी और अन्य जरूरी दस्तावेजों की भी गहराई से जांच होगी. यह प्रोसेस जुलाई और अगस्त में लागू होगी और खिलाड़ी अगर इसमें फेल पाए जाते हैं तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

एजेंसी के लिए BCCI ने ये शर्तें रखी हैं

क्रिकबज ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बीसीसीआई ने इस काम के लिए नियुक्त होने वाली एजेंसी के सामने कुछ शर्तें भी रखी हैं. जैसे उसके पास कम से कम तीन साल का अनुभव होना चाहिए. एजेंसी का कॉर्पोरेट कंपनियों, शिक्षा संस्थानों या भर्ती एजेंसियों के लिए बैकग्राउंड वेरिफिकेशन का अनुभव होना चाहिए. इसके अलावा एजेंसी को देशभर में नेटवर्क होना चाहिए और जरूरत पड़ने पर फील्ड विजिट भी करना चाहिए, खासकर ग्रामीण इलाकों में.

क्यों अहम माना जा रहा ये कदम?

ये कदम बेहद अहम इसलिए माना जा रहा है क्योंकि भारतीय क्रिकेट में उम्र से जुड़े धोखाधड़ी के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं. यह सिर्फ क्रिकेट ही नहीं, बल्कि भारत के दूसरे खेलों में भी सालों से चली आ रही समस्या है. ऐसे में BCCI का यह कदम खेल में पारदर्शिता लाने और असली टैलेंट को मौका देने की दिशा में एक बड़ा और जरूरी कदम है. मतलतब साफ है कि अब खिलाड़ियों को अपनी असली उम्र ही बतानी होगी, क्योंकि झूठ की पोल खुलने में ज्यादा देर नहीं लगेगी.

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Written By

Bhoopendra


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