आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में टीम इंडिया का खिताबी मिशन अपने अंतिम पड़ाव यानी फाइनल तक पहुंच चुका है. 19 फरवरी 2025 से शुरू हुए टूर्नामेंट में, खिताबी लड़ाई तक भारतीय टीम को कुल 5 मैच खेलने को मिले. लेकिन इसे बदकिस्मती ही कहा जाएगा कि टूर्नामेंट के स्कॉड में जगह बनाने के बावजूद, टीम इंडिया के 1-2 नहीं बल्कि 3-3 नाम ऐसे भी रहे जिन्हें 1 भी मैच में खेलने का मौका नसीब नहीं हो सका. सीधे-सीधे कहा जाए तो ये खिलाड़ी टूर्नामेंट में बस पानी पिलाते रह गए.
ऋषभ पंत
भारतीय टीम में स्पेशलिस्ट विकेटकीपर के तौर पर शामिल किए गए ऋषभ पंत को चैंपियंस ट्रॉफी स्कॉड में जगह मिली. वो भारत के लिए 2024 टी-ट्वेंटी वर्ल्ड कप की टीम का हिस्सा भी थे. लेकिन रोहित शर्मा ने दुबई की कंडीशंस में अपने प्लेइंग-11 में स्पेशलिस्ट बल्लेबाज़ को शामिल करने से बेहतर अतिरिक्त ऑलराउंडर के साथ खेलने का फैसला किया. नतीजा ये रहा कि ऋषभ पंत जैसा चैंपियन मैच विनर पूरे टूर्नामेंट में प्लेइंग-11 में जगह पाने का इंतज़ार ही करता रह गया.

अर्शदीप सिंह
भारतीय टीम के इकलौते बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ अर्शदीप सिंह को वन-डे क्रिकेट में कम अनुभव के बावजूद जब मोहम्मद सिराज से पहले चैंपियंस ट्रॉफी स्कॉड में शामिल किया गया था तो सभी को हैरानी हुई थी. लेकिन फिर ऐसी दलील दी गई कि अर्शदीप का डेथ ओवर्स में अच्छा रिकॉर्ड और बाएं हाथ का तेज़ गेंदबाज़ होना उनके हक में गया है. लेकिन अर्शदीप सिंह भी चैंपियंस ट्रॉफी के किसी भी मैच को खेलने में सफल नहीं हो पाए. कप्तान रोहित ने दूसरे तेज़ गेंदबाज़ के तौर पर हार्दिक पांड्या को मौका दिया. वहीं तीसरे तेज गेंदबाज़ी विकल्प के तौर पर हर्षित राणा अपनी बल्लेबाज़ी के कारण शुरूआती मैचों में खेलते हुए दिखाई दिए.
वॉशिंगटन सुंदर
टीम इंडिया के स्कॉड में होने के बावजूद प्लेइंग-11 में जगह नहीं बना पाने वाले तीसरे अनलकी क्रिकेटर रहे वॉशिंगटन सुंदर. सुंदर भारतीय टीम के इकलौते ऑफ स्पिनर थे. उनका ऑलराउंडर प्रोफाइल और बल्लेबाज़ी करने में काबिल होना भी उनके हक में था. ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड जैसे बड़ी टीमों के प्लेइंग-11 में शामिल बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के खिलाफ उनके सफल होने की संभावना भी काफी ज्यादा रहती. लेकिन रोहित ने अपने विनिंग कॉम्बिनेशन में ज्यादा छेड़छाड़ करना ज़रूरी नहीं समझा. लिहाज़ा पंत और अर्शदीप की ही तरह वॉशिंगटन सुंदर भी पूरे चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट में प्लेइंग-11 में खेलने की उम्मीद लिए ही बैठे रह गए.
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