ICC का बड़ा फैसला, टेस्ट क्रिकेट में 2 टियर सिस्टम लाने के लिए कमिटी का किया गठन, जानें कब से होगा लागू
Test Cricket: ICC ने टेस्ट क्रिकेट में 2 टियर सिस्टम लाने के लिए एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) में 8 सदस्यीय कमिटी बनाई. 2 टियर टेस्ट सिस्टम वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) 2027 से लागू हो सकता है.

Test 2 Tier System: क्रिकेट के सबसे लंबे और पुराने फॉर्मेट टेस्ट में लगातार बदलाव देखने को मिल रहे हैं. टी20 के बढ़ते क्रेज के बीच इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) टेस्ट क्रिकेट को रोमांचक बनाने का प्रयास कर रहा है. इसी चलते आईसीसी टेस्ट में 2 टियर सिस्टम लाने की तैयारी कर रहा है और इसके लिए 8 सदस्यीय कमिटी का गठन भी कर दिया गया है. सिंगापुर में हुई आईसीसी की एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) में यह फैसला लिया गया है. इस कमिटी की अध्यक्षता ICC के नए CEO संजोग गुप्ता कर रहे हैं.
WTC के अगले चक्र में होगा लागू
टेस्ट क्रिकेट में 2 टियर सिस्टम वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) 2027-29 चक्र से लागू हो सकता है. इस सिस्टम में टेस्ट खेलने वाली मौजूदा 9 टीमों की जगह 6-6 टीमों की दो डिवीजन बनाई जाएंगी. इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया पहले से इस फॉर्मेट के समर्थन में हैं. इस नए नियम को लागू करने की योजना बनाने के लिए ICC के नए CEO संजोग गुप्ता की अध्यक्षता में 8 सदस्यीय कमिटी का गठन किया गया है
इस कमिटी को इसी साल के अंत तक आईसीसी को अपनी सिफारिशें पेश करनी होगी. गोल्ड और ग्रीनबर्ग के टीम में शामिल होने का मतलब है कि नई 2 टियर सिस्टम लागू होने की पूरी संभावना है.
🚨PAKISTAN IN SECOND DIVISION ( The Guardian )
ICC plans two-tier Test cricket (2027–29)
Division 1: IND, AUS, ENG, SA, NZ, SL
Division 2: PAK, WI, BAN, ZIM, AFG, IRE pic.twitter.com/DR8Dhqg0oP---Advertisement---— junaiz (@dhillow_) July 21, 2025
क्या है 2 टियर टेस्ट सिस्टम?
2 टियर टेस्ट सिस्टम के तहत टेस्ट खेलने वाली टीमों को दो डिवीजन में बांटा जाएगा. एक में भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड जैसी बड़ी टीमें होंगी, जबकि दूसरी डिवीजन में अन्य टीमें (जैसे वेस्टइंडीज, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, आयरलैंड और जिम्बाब्वे) खेलेंगी. हर वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप चक्र के अंत में टॉप टियर की आखिरी टीम सेकेंड टियर में चली जाएगी और सेकेंड टियर की सबसे ऊपर वाली टीम को प्रमोशन मिलेगा.
इसका मकसद यह है कि बड़ी टीमें आपस में अधिक सीरीज खेलें, जिससे टेस्ट क्रिकेट का ग्लोबल आकर्षण और कमाई दोनों बढ़ें. बता दें कि, इस तरह के सिस्टम का प्रस्ताव पहली बार 2016 में रखा गया था, लेकिन उस समय कई छोटे देशों के विरोध की वजह से इसे खारिज कर दिया गया था. विरोध करने वाले देशों का मानना था कि इससे उन्हें टेस्ट खेलने के मौके बहुत कम मिलेंगे.