भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट के सुनहरे युग का दरवाजा धीरे-धीरे बंद हो रहा है. विराट कोहली, रोहित शर्मा और रविचंद्रन अश्विन जैसे दिग्गज अब टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं और विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के नए चक्र की शुरुआत ऐसे वक्त में हो रही है जब टीम इंडिया अपने तीन सबसे भरोसेमंद स्तंभों के बिना मैदान में उतरेगी.
BGT में मिली हार ने खड़े किए थे कई सवाल
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर मिली निराशा ने कई सवाल खड़े कर दिए थे. इस दौरे के दौरान जहां विराट कोहली ने औपचारिक रूप से टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की, वहीं अश्विन ने एडिलेड टेस्ट के बाद चुपचाप इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया. अश्विन और रोहित ने एक भावुक क्षण में गाबा के ड्रेसिंग रूम में एक-दूसरे को गले लगाया, मानो क्रिकेट के एक अध्याय का समापन हो रहा हो.
पीछे छूट गई भरोसेमंद ओपनर की कहानी
अश्विन, जिन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ घरेलू सीरीज़ में शानदार प्रदर्शन किया था, उनका जलवा न्यूजीलैंड दौरे में फीका पड़ गया. तीन टेस्ट में सिर्फ 9 विकेट और औसत 41 से उनका पतन साफ नजर आया. वहीं रोहित शर्मा की फॉर्म भी बांग्लादेश और फिर न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट मैचों में बुरी तरह गिर गई. 6 पारियों में सिर्फ 31 रन और औसत 6.20- एक समय के भरोसेमंद ओपनर की कहानी अब पीछे छूट गई.
कोहली ने कठिन लेकिन साहसी फैसला लिया
विराट कोहली की बात करें तो न्यूजीलैंड के खिलाफ स्पिन के जाल में फंसे विराट ने छह पारियों में सिर्फ 93 रन बनाए. हालांकि पर्थ टेस्ट में उन्होंने एक नाबाद शतक जरूर जड़ा, लेकिन उसके बाद फिर फॉर्म ने साथ नहीं दिया. इस निराशाजनक फॉर्म और लगातार आलोचनाओं के बीच कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का कठिन लेकिन साहसी फैसला लिया.
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