Football Rules in Hindi: भारत में क्रिकेट बहुत देखा, सुना और खेला जाता है. इस खेल को लेकर भारतीय बेहद जुनूनी हैं. उनके दिल में यह खेल बसता है. जैसे भारत में क्रिकेट पर लोग फिदा हैं वैसे ही पूरी दुनिया में फुटबॉल सबसे लोकप्रिय खेल है. फुटबॉल सबसे ज्यादा देशों में खेले जाने वाले फेमस गेम है. इसकी दीवानी क्रिकेट से कहीं ज्यादा है. यह भी क्रिकेट की तरह एक टीम गेम है. 2 टीमों के बीच होने वाले इस मुकाबले में गजब रोमांचक देखने को मिलता है. दोनों टीमों में 11-11 खिलाड़ी होते हैं, जिनमें से एक-एक गोलकीपर होता है. अन्य खिलाड़ी स्ट्राइकर, डिफेंडर और मिडफील्डर के रूप में अलग-अलग रोल अदा करते हैं. आइए इस खेल के नियम, कायदे और कानून जान लेते हैं.
फुटबॉल का बेसक नियम क्या है?
फुटबॉल में कुल 17 नियम होते हैं. इस खेल का बेसिक रूल है कि एक टीम को विपक्षी टीम के गोल पोस्ट में बॉल को भेजना होता है, जितनी दफा बॉल गोल पोस्ट में जाएगी उतने ही गोल उस टीम को मिलेंगे. वहीं विरोधी टीम गोल पोस्ट में बॉल जाने से रोकने के लिए पूरा दम लगाती है. इसके लिए गोलकीपर रहता है. इस बीच दिखने वाला रोमांचक इस खेल को खास बनाता है.
फुटबॉल से जुड़ी अहम जानकारी पढ़िए
90 मिनट का होता है मैच
फुटबॉल मैच कुल 90 मिनट का होता है, जिसे कुल 45-45 मिनट के 2 हाफ में बांटा जाता है. इस दौरान कोई खिलाड़ी चोटिल हो जाता है या खेल में बाधा आती है, तो रेफरी उस समय को जोड़कर इंजरी टाइम देता है. मैच के आखिर में जिस टीम के गोल सबसे ज्यादा होते हैं वो जीत जाती है. मान लीजिए किसी भी टीम ने गोल नहीं किया, या फिर गोल बराबर रहे तो उस मैच को ड्रा माना जाता है.
मैच रेफरी
जिस तरह क्रिकेट में अंपायर का रोल होता है, ठीक वैसे ही फुटबॉटल में मैच रेफरी मौजूद होता है. रैफरी आखिरी फैसला ही सर्वमान्य होता है.
क्रिकेट की तरह फुटबॉल में भी टॉस होता है, लेकिन इसमें बल्लेबाजी या गेंदबाजी चुनने के बजाय टॉस जीतने वाली टीम यह तय करती है कि वह कौन सा गोल पोस्ट चुनेगी.
गोल का नियम
दोनों टीमों का लक्ष्य होता है कि गेंद को विरोधी टीम के गोल पोस्ट में डालना.
एक गोल के बदले 1 अंक दिया जाता है. जीतने वाली टीम वह होती है, जो अधिक गोल करती है.
पेनल्टी शूटआउट या अतिरिक्त समय कब दिया जाता है?
यदि 90 मिनट के बाद दोनों टीमों के गोल समान होते हैं, तो मैच ड्रॉ माना जाता है. कई बड़े टूर्नामेंट में ड्रॉ की स्थिति में पेनल्टी शूटआउट या अतिरिक्त समय दिया जाता है.
फुटबॉल के खिलाड़ी और उनकी भूमिका
स्ट्राइकर (Striker)-मुख्य काम गोल करना होता है. यह आमतौर पर विरोधी टीम के गोल पोस्ट के पास खेलते हैं.
डिफेंडर (Defender)- इनका काम विरोधी टीम के खिलाड़ियों को गोल करने से रोकना होता है.
ये आमतौर पर अपनी टीम के गोल पोस्ट के पास रहते हैं.
मिडफील्डर (Midfielder)- इनका काम गेंद को छीनना और पास करना होता है. वे स्ट्राइकर और डिफेंडर के बीच कड़ी का काम करते हैं.
गोलकीपर (Goalkeeper)– गोलकीपर का काम गोल को रोकना है. गोलकीपर को गेंद को हाथों से पकड़ने की अनुमति होती है, लेकिन केवल पेनल्टी एरिया में.
फुटबॉल में फाउल और पेनल्टी के नियम क्या हैं
ऑफसाइड- जब अटैकिंग टीम का खिलाड़ी गेंद के बिना गोल रेखा के बहुत पास पहुंच जाता है, तो उसे ऑफसाइड माना जाता है. इस स्थिति में उस खिलाड़ी का गोल अमान्य हो जाता है.
फ्री किक- अगर कोई खिलाड़ी किसी विपक्षी खिलाड़ी को गलत तरीके से रोकता है, तो विरोधी टीम को फ्री किक दी जाती है. जिसे दो भागों में बांटा जाता है. पहला है डायरेक्ट फ्री किक, इसमें खिलाड़ी सीधे गोल पर किक कर सकता है. दूसरा है इनडायरेक्ट फ्री किक- इसमें खिलाड़ी को गेंद को किसी और खिलाड़ी को पास करना होता है.
पेनल्टी किक- यदि डिफेंडिंग टीम अपने पेनल्टी एरिया में फाउल करती है, तो विरोधी टीम को पेनल्टी किक मिलती है.
इस दौरान गेंद गोलकीपर के सामने रखी जाती है और शूटर सीधे गोल पर किक करता है.
थ्रो-इन– जब गेंद मैदान की साइडलाइन से बाहर जाती है, तो विरोधी टीम गेंद को हाथ से फेंककर खेल में लाती है.
इस प्रक्रिया को थ्रो-इन कहते हैं.
कॉर्नर किक- जब गेंद बिना गोल के गोल रेखा को पार कर जाती है और गेंद को अंतिम बार डिफेंडर ने छुआ हो, तो विरोधी टीम को कॉर्नर किक मिलती है. यह किक गोल के पास के कॉर्नर प्वाइंट से ली जाती है. अधिकतर गोल यहीं से होते हैं.
गोल किक- जब गेंद बिना गोल के गोल रेखा को पार कर जाती है और उसे अंतिम बार अटैकिंग खिलाड़ी ने छुआ हो, तो डिफेंडिंग टीम को गोल किक मिलती है.
फुटबॉल में कार्ड के नियम
येलो कार्ड- खिलाड़ी को गलत व्यवहार या नियम तोड़ने पर येलो कार्ड दिखाया जाता है.
यह एक चेतावनी होती है.
रेड कार्ड– अगर कोई कोई खिलाड़ी बार-बार नियमों का उल्लंघन करता है या गंभीर फाउल करता है, तो उसे रेड कार्ड दिखाया जाता है. रेड कार्ड दिखाने पर खिलाड़ी को मैदान से बाहर भेज दिया जाता है और उसकी जगह कोई दूसरा खिलाड़ी नहीं आता है. इससे टीम को बड़ा झटका लगता है.
बॉल को हाथ लगाने का नियम
सिर्फ गोलकीपर को अपने पेनल्टी एरिया के अंदर गेंद को हाथ से छूने की अनुमति होती है. बाकी खिलाड़ी गेंद को सिर्फ पैर, सिर या शरीर के अन्य भागों से छू सकते हैं.
फुटबॉल कैसे रोमांचक होती है?
फुटबॉल का खेल केवल गोल करने और रोकने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें रणनीति, टीमवर्क और खेल भावना का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है. फुटबॉल के येलो कार्ड, रेड कार्ड, ऑफसाइड और पेनल्टी जैसे नियम इसे रोमांचक बनाते हैं. इस खेल में बच्चों से लेकर बड़े खिलाड़ी तक हिस्सा लेते हैं और यह दुनिया के सबसे बड़े खेल आयोजनों में से एक है.