उत्तर प्रदेश के संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी (सोमवार) से महाकुंभ (Maha Kumbh 2025) की शुरुआत हो गई है. जिसमें देश-विदेश से लोग आस्था की डुबकी लगाने के लिए लगातार पहुंच रहे हैं. बड़ी संख्या में दुनियाभर के सैलानी महाकुंभ का हिस्सा बन रहे हैं. इन सबके बीच आज हम आपको उन खिलाड़ियों के बारे में बताएंगे. जिन्होंने करोड़ों की संपत्ति छोड़कर अध्यात्म का रास्ता चुन लिया. ये खिलाड़ी अपनी दौलत और शोहरत को छोड़कर संन्यासी बन गए हैं. तो आइए उन खिलाड़ियों के बारे में जानते हैं.
दिग्गज फुटबॉलर बना बोद्ध भिक्षु
स्वीडन के फुटबॉल खिलाड़ी केविन लिडिन (Kevin Lidin) इस समय एक बौद्ध भिक्षु हैं. पूर्व मिडफील्डर ने साल 2019 में एसी पीसा के साथ सीरी सी प्ले-ऑफ जीता था. लेकिन काफी कम उम्र में ही वो अध्यात्म का रास्ता अपना लिया. वो पहले थालैंड में मेडिटेशन रिट्रीट पर जाने लगे. यहां वो सबसे पहले योग करना शुरू किया. इस दौरान उन्होंने खुद से सवाल पूछा कि खुशी क्या है? जीवन का उद्देश्य क्या है? उन्होंने बताया कि बोद्ध भिक्षु बनने और योग करने के बाद उन्हें हर सवालों के जवाब मिल गए.
पादरी बना वर्ल्ड कप खेलने वाला फुटबॉलर
नाइजीरिया के पूर्व फुटबॉलर टारिबो वेस्ट एक पादरी हैं. साल 2002 में उन्होंने फुटबॉल विश्व कप में हिस्सा लिया था. 50 साल के टारिबो वेस्ट ने अपना चर्च स्थापित किया था, जिसका नाम ‘शेल्टर इन द स्टॉर्म मिनेकल मिनिस्ट्रीज ऑफ ऑल नेशन’ है.
गेविन पीकॉक ने भगवान को समर्पित किया जीवन
न्यूकैसल, क्यूपीआर और चेल्सी के लिए फुटबॉल खेलने वाले गेविन पीकॉक इंग्लैंड के पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ी रहे हैं. उन्होंने अपने जीवन को भगवान को समर्पित कर दिया. वह सालों से कनाडा में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं.
पूर्व फुटबॉलर ब्रूस डायर
इंग्लैंड के पूर्व फुटबॉलर रहे ब्रूस डायर ने ‘लव लाइफ यूके चर्च’ एलन कम्फर्ट-एक्स-लेयटन ओरिएंट की स्थापना की और उसके बाद पादरी बन गए. वो शेफील्ड यूनाइटेड, डोनकास्टर रोवर्स, वॉटफोर्ड, मिलवॉल समेत कई क्लब के लिए फुटबॉल खेल चुके हैं. इतना ही नहीं वो इंग्लैंड के अंडर 21 टीम का भी हिस्सा रहे हैं.
फिलिप मलरीन हैं पादरी
यूनाइटेड किंगडन के रहने वाले फिलपि मलरीन ने पेशेवर फुटबॉल से रिटायरमेंट लेने के बाद संन्यास का रास्ता चुन लिया था. इस समय वो एक कैथोलिक पादरी हैं. पूर्व में वह मैनचेस्टर यूनाइटेड का हिस्सा रह चुके हैं.
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