मैराथन की मिसाल फौजा सिंह नहीं रहे, 114 साल की उम्र में सड़क हादसे में निधन
मैराथन की मिसाल रहे फौजा सिंह का निधन हो गया, वो सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं थे, वे एक चलता-फिरता संदेश थे कि उम्र केवल एक संख्या है. उन्होंने अपने जीवन से यह साबित कर दिया कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं. पढ़ें पूरी खबर..

Fauja Singh Passes Away: भारत के सबसे प्रेरणादायक एथलीटों में से एक रहे फौजा सिंह का सोमवार को निधन हो गया. वह 11 साल के थे. पंजाब के जालंधर जिले में स्थित अपने पैतृक गांव ब्यास पिंड में टहलने के लिए निकले थे, इसी दौरान एक अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी. जिसके बाद उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गाया था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. उनके निधन पर पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने शोक व्यक्त किया है.
पंजाब के राज्यपाल ने एक्स पोस्ट में लिखा, ‘सरदार फौजा सिंह दृढ़ता और आत्मबल के प्रतीक थे. वह ‘नशा मुक्त, रंगला पंजाब मार्च’ में मेरे साथ पूरे जोश के साथ शामिल हुए थे. उनका जीवन आज के युवाओं के लिए प्रेरणा बना रहेगा. ओम शांति.’
Deeply saddened by the passing of Sardar Fauja Singh Ji, the legendary marathon runner and symbol of resilience. At 114, he joined me in the ‘Nasha Mukt – Rangla Punjab’ march with unmatched spirit.
— Gulab Chand Kataria (@Gulab_kataria) July 14, 2025
His legacy will continue to inspire a drug-free Punjab.
Om Shanti Om. pic.twitter.com/S6238AkDYu
फौजा सिंह का निधन
फौजा सिंह की बायोग्राफी ‘द टर्बन्ड टॉरनेडो’ लिखने वाले खुशवंत सिंह ने भी फौजा सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, ‘मेरा टर्बन्ड टॉरनेडो अब इस दुनिया में नहीं रहा. आज दोपहर लगभग 3:30 बजे उनके गांव बियास में सड़क पार करते समय एक अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी. मेरे प्रिय फौजा, उनकी आत्मा को शांति मिले.’
My Turbaned Tornado is no more. It is with great sadness that I share the passing of my most revered S. Fauja Singh. He was struck by an unidentified vehicle around 3:30 PM today in his village, Bias, while crossing the road. Rest in peace, my dear Fauja . pic.twitter.com/LMFh7TNE8B
— Khushwant Singh (@Singhkhushwant) July 14, 2025
90 की उम्र में शुरू की थी दौड़
फौजा सिंह का जन्म 1 अप्रैल 1911 को पंजाब के जालंधर जिले के ब्यास गांव में हुआ था. अधिकांश लोग जहां 90 की उम्र में आराम की तलाश करते हैं, वहीं फौजा सिंह ने इस उम्र में अंतरराष्ट्रीय मैराथन दौड़ना शुरू किया था. उनकी पहली मैराथन 90 साल की उम्र में थी, जो उन्होंने पूरी की. इसके बाद उन्होंने 93 की उम्र में लंदन मैराथन और 100 की उम्र में टोरंटो मैराथन में भाग लिया. 2011 की इस दौड़ में उन्होंने 100+ आयु वर्ग में विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया. इसी जुनून और साहस के चलते लोग उन्हें प्यार से ‘टर्बन्ड टॉरनेडो’ कहने लगे.
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