पिता ने गोली मारकर की नेशनल खिलाड़ी की हत्या, बेटी की रील बनाने की आदत से था नाराज?
हरियाणा के गुरुग्राम में गुरुवार (10 जुलाई) को एक सनकी पिता ने अपनी बेटी और टेनिस खिलाड़ी की गोली मारकर हत्या कर दी. घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और पिता को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस मामले की जांच कर रही है...

गुरुग्राम के सेक्टर 57 की एक कोठी में गुरुवार (10 जुलाई) दोपहर एक बाप ने अपनी बेटी पर 5 गोलियां चलाईं. तीन गोलियां सीधे दिल के आर-पार हो गईं, जिससे मौके पर ही बेटी की मौत हो गई. पिता ने इंटरनेशनल लेवल तक पहुंचने वाली उस बेटी को खत्म कर दिया, जिसे वो अपनी इज्जत के खिलाफ मान बैठा था. उस बेटी का नाम था राधिका यादव.
25 साल की राधिका भारत की शीर्ष 200 महिला टेनिस खिलाड़ियों में शामिल थीं और इंटरनेशनल डबल्स रैंकिंग में 113वें पायदान तक पहुंचने वाली खिलाड़ी थीं. लेकिन गुरुवार को न कोई रैकेट था, न कोई मुकाबला और न ही कोई विरोधी खिलाड़ी. बस, उसका अपना ही पिता दीपक यादव सामने बैठा था और बेटी के बनाए रील्स और अकादमी से चिढ़ा हुआ था.
🚨HORRIFIC
— BALA (@erbmjha) July 10, 2025
– State level tennis player Radhika Yadav was shot dead by his father Deepak Yadav in Gurugram.
– He was furious because she ran a tennis academy.
– She was shot in the back while cooking through a licensed pistol.
– Fired 5 bullets, 3 hit her
This is Kalyug 💔 pic.twitter.com/GmwNAPQtQS
गुस्साए पिता ने कर दी बेटी की हत्या
घर में उस समय सिर्फ दो लोग पिता और बेटी थी. दोनों अलग-अलग सोच के. राधिका के लिए टेनिस और सोशल मीडिया, उसका जुनून था. लेकिन उसके पिता को वो तमाशा लगता था. पड़ोसियों से मिलने वाले ताने दीपक यादव के भीतर एक जहर की तरह भर गई थीं. पुलिस के मुताबिक, पिता ने पहले कई बार राधिका को रील्स बनाने से रोका. टेनिस अकादमी बंद करने की धमकी भी दी. लेकिन जब बेटी नहीं झुकी तो गोली से उसकी आवाज को बंद कर दी.
अपने ही घर में पिता बन गए विरोधी
राधिका पिछले कुछ महीनों से कंधे की चोट से जूझ रही थी. डॉक्टर ने आराम की सलाह दी, तो उसने खेलना बंद कर दिया और अपनी टेनिस अकादमी शुरू की. कोच बनकर बच्चों को ट्रेनिंग देना उसका नया सपना था. लेकिन उसके पिता को लगता था कि राधिका की कमाई और सोशल मीडिया एक्टिविटी उनके सोसाइटी स्टेटस को गिरा रही है.
बेटी बन गई पिता की बेइज्जती की वजह
अजीब विडंबना है, जिस लड़की ने इंटरनेशनल टूनामेंट्स में देश का नाम रोशन किया, वही अपने घर में बेइज्जती की वजह बन गई और अंत में तीन गोलियां उसकी रैंकिंग, उसकी मेहनत, उसकी पहचान और उसके वजूद को निगल गईं. क्या एक लड़की को अपने सपनों के लिए इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है? क्या सोशल मीडिया पर एक्टिव होना, एक खिलाड़ी की गरिमा को कम करता है? क्या बाप के ताने, बेटी के फैसले से बड़े होते हैं?
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