World Weightlifting Championship: 31 की उम्र में मीराबाई चानू ने दिखाया बाजुओं का दम, 199 किलो वजन उठाकर रच डाला इतिहास
World Weightlifting Championship: भारत के लिए मीराबाई चानू ने एक बार फिर से 31 साल की उम्र में कमाल का दम दिखाते हुए इतिहास रच दिया है. उन्होंने 199 किलो का वजन उठाकर सिल्वर मेडल जीता है. उनके लिए ये चैंपियनशिप में करियर का तीसरा मेडल रहा है.

World Weightlifting Championship: भारत के लिए ओलंपिक पदक जीत चुकी 31 साल की मीराबाई चानू ने एक बार फिर से तमाम चीजों को पीछे छोड़ते हुए इतिहास रच दिया है. उन्होंने वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप 2025 में अपनी बाजुओं का दम दिखाते हुए कुल 199 किलो का वजन उठाया. बीते तीन साल से वो किसी भी टूर्नामेंट में पोडियम फिनिश नहीं कर पाई थी तो ऐसे में ये मेडल उनकी झोली में डेर सारी खुशियां लेकर आया है. वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में उनके करियर का ये तीसरा मेडल है. इसी के साथ भारत के लिए इस चैंपियनशिप में 2 से ज्यादा मेडल हासिल करने वाली वो तीसरी वेटलिफ्टर बन गई हैं.
Phenomenal lift by @mirabai_chanu to win a silver medal at the #WorldChampionships. Mirabai, 48kg, lifts iron more than twice her body weight to win a third World Championships medal – and second silver. pic.twitter.com/Q20Bvdw9zR
---Advertisement---— Mihir Vasavda (@mihirsv) October 2, 2025
199 किलो का वजन उठा जीता मेडल
मीराबाई चानू ने टूर्नामेंट के 48 किलोग्राम वर्ग में हिस्सा लिया.पहले उन्होंने स्नैच में 84 किलोग्राम का वजन उठाया और इसके बाद उन्होंने क्लीन एंड जर्क में 115 किलोग्राम का वजन उठाकर अपना टोटल स्कोर 199 तक पहुंचाया. पहले नंबर पर रहकर गोल्ड मेडल जीतने वाली उत्तर कोरिया कि रि सोंग गुम ने दोनों राउंड में मिलाकर 213 किलोग्राम वजन उठाया.
स्नैच में 84 किलोग्राम वजन उठाने के बाद मीराबाई चानू चीन की वेटलिफ्टर थान्याथन से 4 किलो के अंतर से पीछे चल रही थीं लेकिन उन्होंने क्लीन एंड जर्क में कमाल की वापसी करते हुए एक प्वाइंट की लीड हासिल करते हुए उनको पीछे छोड़ा.
3 साल के बाद जीता कोई मेडल
मीराबाई चानू का करियर बीते कुछ सालों में संघर्ष भरा रहा है. हालांकि, चोट और सर्जरी से उभरते हुए उन्होंने 3 साल के बाद किसी टूर्नामेंट में मेडल अपने नाम किया है. आखिरी बार साल 2022 में विश्व चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था. पेरिस ओलंपिक और एशियाई गेम्स में वो मेडल जीतने के काफी करीब तक पहुंची लेकिन चौथे पायदान पर ही खत्म कर पाईं, जिसके चलते उनको कोई मेडल नहीं मिला था.