ENG vs IND: भारत और इग्लैंड के बीच 5 टेस्ट मैचों की सीरीज खेली जा रही है. जिसमें मेजबान टीम 2-1 से आगे हैं. लॉर्ड्स में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच में 8 बार गेंद बदली गई थी. क्योंकि गेंद बार-बार खराब हो रही थी. जिसको लेकर काफी बवाल मचा था. शुभमन गिल और ऋषभ पंत जैसे भारतीय खिलाड़ी बार-बार अंपायर से शिकायत कर रहे थे कि बॉल ठीक नहीं है. इंग्लैंड के प्लेयर भी लगातार शिकायत कर रहे थे. ऐसे में आइए जानते हैं टेस्ट क्रिकेट में गेंद बदलने का क्या नियम है.
टेस्ट क्रिकेट में गेंद बदलने के नियम
- अगर बॉल खो जाती है यानी स्टैंड में चली गई, तो नई बॉल आती है.
- बॉल की शेप बिगड़ जाए या सीम उधड़ जाए, तो उसे बदला जा सकता है.
- अगर बॉल से छेड़छाड़ हुई हो, यानी बॉल टैम्परिंग हो गई हो, तो भी बॉल बदलेगी.
कैसे चेक होती है गेंद की सेप?
अंपायरों के पास बॉल गेज नाम का एक उपकरण होता है, जिससे बॉल की शेप को चेक किया जाता है. दो रिंग्स से होकर अगर बॉल निकल जाती है या बिल्कुल नहीं निकलती, तो वो टेस्ट फेल माना जाता है. अगर ऐसा होता है तो गेंद बदलना जरूरी होता है. अब सवाल ये उठता है कि रिप्लेसमेंट बॉल कहां से आती है? तो इसका सीधा सा जवाब है. बॉल लाइब्रेरी से. फोर्थ अंपायर के पास 20 तक गेंदें होती हैं, जो अलग-अलग ओवर पुरानी होती हैं. अंपायर वही गेंद देता है जो पुरानी गेंद से मेल खाती हो.
हर देश की होती है अपनी-अपनी गेंद
हर देश की अपनी गेंद होती है, जिससे वो क्रिकेट खेलते हैं. इंग्लैंड में ड्यूक, भारत में एसजी, ऑस्ट्रेलिया में कुकाबुरा गेंद का उपयोग होता है. इन सभी गेंदों का वजन 155 से 163 ग्राम और गोलाई लगभग 22.4 से 22.9 सें.मी. होती है. ज्यादा जानकारी के लिए देखें वीडियो..
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