बर्मिंघम में आज तक भारत को नहीं मिली है जीत, फिर कैसे इतिहास बदलेगी शुभमन गिल की सेना?
IND vs ENG: भारत और इंग्लैंड के बीच दूसरा टेस्ट मैच 2 जुलाई से बर्मिंघम के एजबेस्टन मैदान पर खेला जाएगा. भारत ने एजबेस्टन में पहली बार 1967 में टेस्ट मैच खेला था, लेकिन हैरानी की बात है कि भारतीय टीम यहां आज तक एक भी टेस्ट नहीं जीत पाई है.

IND vs ENG Edgbaston Test: इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम की शुरुआत बेहद निराशाजनक रही और लीड्स में खेले गए पहले टेस्ट मैच में भारत को इंग्लैंड के हाथों 5 विकेट से हार का सामना करना पड़ा. मैच में 5 शतक और 371 रनों का विशाल लक्ष्य रखने के बावजूद शुभमन गिल की अगुवाई वाली टीम इंडिया को हार का मुंह देखना पड़ा. इस हार के साथ ही भारतीय टीम पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में 0-1 से पीछड़ गई है और अब उसकी नजरें दूसरे टेस्ट को जीतकर सीरीज में बराबरी करने पर होगी.
भारत बनाम इंग्लैंड टेस्ट सीरीज का दूसरा मुकाबला 2 जुलाई से बर्मिंघम के एजबेस्टन मैदान पर खेला जाना है. लीड्स टेस्ट में मिली हार के बाद टीम इंडिया एजबेस्टन टेस्ट में जीत दर्ज करने के इरादे से मैदान पर उतरेगी. हालांकि, उसके लिए ऐसा करना बिल्कुल भी आसान नहीं होगा. अगर शुभमन गिल की टीम का सीरीज में 1-1 की बराबरी करनी है तो उसे एजबेस्टन के मैदान पर इतिहास रचना होगा. इस मैदान पर भारतीय टीम का रिकॉर्ड बेहद खराब रहा है और यहां आज तक भारत को जीत नसीब नहीं हुई है.
58 सालों से नहीं मिली जीत
एजबेस्टन के मैदान पर भारत ने अब तक 8 टेस्ट मैच खेले हैं, लेकिन आज तक जीत का स्वाद नहीं चखा है. भारतीय टीम ने यहां सिर्फ एक टेस्ट ड्रा किया है, जबकि 7 मैचों में करारी हार झेलनी पड़ी है. इनमें से तीन बार भारत को पारी के बड़े अंतर से हार मिली है. एजबेस्टन में पहली बार भारत ने 1967 में मंसूर अली खान पटौदी की कप्तानी में टेस्ट मैच खेला था, जिसमें इंग्लैंड ने भारत को 132 रनों से हराया था. इसके बाद 1974 में पारी और 78 रन से हार मिली और फिर 1979 में पारी और 83 रन से करारी शिकस्त मिली. दोनों टीमों के बीच 1986 में खेला गया मुकाबला एकमात्र टेस्ट था, जो ड्रा पर समाप्त हुआ.
इसके बाद 1996 में भी भारत को 8 विकेट से हार का सामना करना पड़ा. 21वीं सदी में भी यहां खेले गए तीनों मैच (2011, 2018 और 2022) भी भारत हार गया. 2011 में भारत को इसी मैदान पर टेस्ट इतिहास की सबसे बड़ी हार मिली थी, जब इंग्लैंड ने भारत को पारी और 242 रनों से मात दी थी. आखिरी बार भारत को साल 2022 में यहां 7 विकेट से हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, साल 2016 में भारतीय टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया था और जीत के करीब पहुंची, लेकिन ये मुकाबला भी इंग्लैंड ने 31 रन से अपने नाम कर लिया. यानी साल 1967 से ही भारत को एजबेस्टन में जीत का इंतजार है.
गंभीर-गिल की रणनीति क्या होगी?
अब शुभमन गिल की कप्तानी वाली टीम इंडिया एजबेस्टन के मैदान परर इतिहास बदलने के इरादे से मैदान पर उतरेगी. हालांकि, इसके लिए कप्तान गिल और कोच गौतम गंभीर की जोड़ी को कुछ बड़ा करना होगा. अगर भारत को एजबेस्टन में इतिहास रचना है तो उसे बल्लेबाजी और गेंदबाजी से लेकर फील्डिंग तक हर विभाग में बेहतरीन प्रदर्शन करना होगा. लेकिन एजबेस्टन टेस्ट में भारतीय टीम के पास उनके सबसे भरोसेमंद तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह नहीं होंगे, जो उसके लिए एक बड़ा झटका है.
बुमराह को वर्कलोड के चलते दूसरे टेस्ट से आराम दिया जा सकता है. उनकी जगह अर्शदीप सिंह या आकाश दीप जैसे युवा गेंदबाजों को मौका दिया जा सकता है. बुमराह की गैरमौजूदगी में मोहम्मद सिराज तेज गेंदबाजी आक्रमण की अगुवाई करेंगे. एजबेस्टन की पिच तेज गेंदबाजों के लिए काफी फायदेमंद रही है और यहां अब तक गिरे 1656 विकेट में से 1185 तेज गेंदबाजो ने चटकाए हैं.
लोअर ऑर्डर को करना होगा मजबूत
इग्लैंड के खिलाफ हेडिंग्ले टेस्ट में भारतीय बल्लेबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया था और भारत की ओर से कुल 5 शतक लगे थे. विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत ने दोनों पारियों में शतक ठोका था और पहली पारी में 134 रन और दूसरे पारी में 118 रन बनाए थे. उनके अलावा यशस्वी जायसवाल, कप्तान शुभमन गिल और केएल राहुल ने सेंचुरी लगाई थी. इन सबके बावजूद टीम इंडिया को हार झेलनी पड़ी थी.
खराब गेंदबाजी के अलावा निचले क्रम में फ्लॉप बल्लेबाजी भी इस हार की वजह रही. इसलिए दूसरे टेस्ट में भारतीय टीम अपने निचले क्रम में भी बल्लेबाजी को मजबूत करना चाहेगी. ऐसे में नीतीश कुमार रेड्डी को मौका मिल सकता है ताकि बैटिंग लाइनअप थोड़ा मजबूत हो, क्योंकि लीड्स में भारत की पहली पारी 41/7 और दूसरी 31/6 जैसी बिखरी थी. शार्दुल ठाकुर की जगह रेड्डी को लाकर लोअर ऑर्डर को स्थिरता दी जा सकती है. अब देखना होगा कि कप्तान गिल और कोच गंभीर इसपर क्या फैसला लेते हैं.